भारतवर्ष
प्रथम , प्रबल , प्रकाशमान था यह
धरती का स्वाभिमान था यह||
सिंधु घाटी से शुरू है जिसकी दास्तान -ए - हर्ष
वह हमारा भारतवर्ष ||
वेदों के ज्ञान से इस धरती का पुराना नाता है
नर और नारी दोनों को यहाँ बराबरी का समझा जाता है||
रघुवंश से लेकर महाभारत तक इसने देखा हर संघर्ष है
यह पुण्यवेदी कोई और नहीं हमारा भारतवर्ष है ||
पाटलिपुत्र के सिंघासन से अब इसका मान था
कौटिल्य , आर्यभट्ट,सुश्रुत के ज्ञान का सम्मान था ||
महान योद्धाओं से भरा था फिर भी प्रेम का आदर्श था
वह महानतम से भी महान हमारा भारतवर्ष था ||
महावीर और बुद्ध के वचनों से वातावरण सराबोर था
सर्वधर्म समभाव का यहाँ पर नया दौर था
वसुधैव कुटुम्बकम से द्वेष का अपकर्ष है
यह प्रेमभूमि कोई और नहीं हमारा भारतवर्ष है
सोलह आक्रमण के बाद सत्रवीं बार छल जीत गया
इसी काल में आग लगते दानवों का दल जीत गया ||
इस धरती पर हिंसा देखने का इतिहास को भी अंगमर्ष है
अपने कर्त्तव्य पर फिर बड़े जो , वो हमारा भारतवर्ष है ||
समय के साथ चल पड़े हम एकता की रीत में
ह्रदय भी अब बांध गए थे अपनेपन में प्रीत में ||
गूण आक्रमण ऐसा हुआ की प्रेम बदला कर्ष में
उनके अत्याचार से मचा घमासान भारतवर्ष में ||
दो शतक में वो हमे हमसे ही लड़ना सीखा गए
फूट ऐसी डाली कि हम षड़यंत्र में उनके समा गए||
फिर छिड़ा संग्राम ऐसा जिसका परिणाम उत्कर्ष था
एक 'उजयाली ' रात में जन्मा नया भारतवर्ष था ||
न मुझसे है न तुझसे है , हम सबका उसमे जोड़ है
प्रेम का , संघर्ष का , बलिदान का यह निचोड़ है ||
है नमन हर वीर को , यह गणतंत्र उनका संघर्ष है
है नमन इस माटी को , जिसका नाम भारतवर्ष है ||
सभी पाठकों को ७१ वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं || जय हिन्द जय भारत || वन्दे मातरम ||
धरती का स्वाभिमान था यह||
सिंधु घाटी से शुरू है जिसकी दास्तान -ए - हर्ष
वह हमारा भारतवर्ष ||
वेदों के ज्ञान से इस धरती का पुराना नाता है
नर और नारी दोनों को यहाँ बराबरी का समझा जाता है||
रघुवंश से लेकर महाभारत तक इसने देखा हर संघर्ष है
यह पुण्यवेदी कोई और नहीं हमारा भारतवर्ष है ||
पाटलिपुत्र के सिंघासन से अब इसका मान था
कौटिल्य , आर्यभट्ट,सुश्रुत के ज्ञान का सम्मान था ||
महान योद्धाओं से भरा था फिर भी प्रेम का आदर्श था
वह महानतम से भी महान हमारा भारतवर्ष था ||
महावीर और बुद्ध के वचनों से वातावरण सराबोर था
सर्वधर्म समभाव का यहाँ पर नया दौर था
वसुधैव कुटुम्बकम से द्वेष का अपकर्ष है
यह प्रेमभूमि कोई और नहीं हमारा भारतवर्ष है
सोलह आक्रमण के बाद सत्रवीं बार छल जीत गया
इसी काल में आग लगते दानवों का दल जीत गया ||
इस धरती पर हिंसा देखने का इतिहास को भी अंगमर्ष है
अपने कर्त्तव्य पर फिर बड़े जो , वो हमारा भारतवर्ष है ||
समय के साथ चल पड़े हम एकता की रीत में
ह्रदय भी अब बांध गए थे अपनेपन में प्रीत में ||
गूण आक्रमण ऐसा हुआ की प्रेम बदला कर्ष में
उनके अत्याचार से मचा घमासान भारतवर्ष में ||
दो शतक में वो हमे हमसे ही लड़ना सीखा गए
फूट ऐसी डाली कि हम षड़यंत्र में उनके समा गए||
फिर छिड़ा संग्राम ऐसा जिसका परिणाम उत्कर्ष था
एक 'उजयाली ' रात में जन्मा नया भारतवर्ष था ||
न मुझसे है न तुझसे है , हम सबका उसमे जोड़ है
प्रेम का , संघर्ष का , बलिदान का यह निचोड़ है ||
है नमन हर वीर को , यह गणतंत्र उनका संघर्ष है
है नमन इस माटी को , जिसका नाम भारतवर्ष है ||
सभी पाठकों को ७१ वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं || जय हिन्द जय भारत || वन्दे मातरम ||
Awesome ❤️
ReplyDeleteBharat mata ki jai🇮🇳
ReplyDeleteकवयित्री की यह रचना प्रत्येक भारतीय को गर्व से भर देती है। कवयित्री द्वारा एक सराहनीय कार्य!
ReplyDeleteBharat mata ki jai 🙏🏻
ReplyDeleteWow..♥️♥️
ReplyDeleteHappy Republic Day...
ReplyDeleteYour poetry😍😍