जीवन- एक संघर्ष
हर हालात से जूझता है इंसा
हर मुश्किल मे टूटता है इंसा ,
हर किसी से रूठता है इंसा
फिर भी जीवन मे दुख कहाँ?
हर पल घुट-घुटकर जीता है
आँसुओं को मीठा शर्बत समझ पीता है ,
हर संघर्ष ने उसके विश्वास को घसीटा है
फिर भी हर कठिनाई मे उसने सीखा है ।।
कभी हार न माने , वो सिपाही है
सदा चलने वाली यह जीवन की लड़ाई है ,
इससे लड़ने मे जग हसाई है
पर हार मान बैठने मे कौनसी कमाई है।।
क्यों न जीवन को नये तरीके से जगाये
हर प्रहर को नये सलीके से मनाये।
तो उठो ऐ इंसा संघर्ष मे भी रस है
वो कौन है जिसके जीवन मे न दुख न कशमकश है।।
कभी जहर से जीवन मे शक्कर तो घोलो
सूरज निकलने से कुछ नही होता जरा आँखे तो खोलो।
खुशियाँ आएंगी तुम्हारे द्वार भी
कभी मुस्कुराकर दरवाजा तो खोलो ।।
।।।। आशा करते हैं कि पाठकगण को पसंद आएगी । आपके सुझावों का यह नवजात कवियित्री हृदय से स्वागत करती है ।।।।धन्यवाद
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