गुरु - ईश्वर की एक अद्भुद रचना
आकाश सा अबाध्य है जो
ईश्वर तुल्य आराध्य है जो
सर्व गुणों में साध्य है जो
संसार संग वैराग्य है जो
गुरु सिवा और कौन है वो?
ईश्वर तुल्य आराध्य है जो
सर्व गुणों में साध्य है जो
संसार संग वैराग्य है जो
गुरु सिवा और कौन है वो?
न राह में आगे बढ़ाए
न राह को आसान बनाए
राह में रह कर भी वह तो पथिक को राह पार कराए
गुरु सिवा और कौन है वो?
गम से दुःख तक की दुर्गम सीढ़ी भी आसान है
उनकी सहायता से आगे बढ़ी हर पीढ़ी में वो महान है
उनके बिना संसार बिना प्रज्ञा का है अज्ञान है
उनके बिना जग जीवितों में जीवन का शमशान है
गुरु सिवा और कौन है वो ?
उनका ज्ञान हमारा साया है
उनके तेज में हमारा यश समाया है
उनके संघर्ष का फल हमने पाया है
उनकी दी चंद बूंदों से हमारा ज्ञान का समंदर गहराया है
गुरु सिवा और कौन है वो?
गुरु सिवा और कौन है वो?
गम से दुःख तक की दुर्गम सीढ़ी भी आसान है
उनकी सहायता से आगे बढ़ी हर पीढ़ी में वो महान है
उनके बिना संसार बिना प्रज्ञा का है अज्ञान है
उनके बिना जग जीवितों में जीवन का शमशान है
गुरु सिवा और कौन है वो ?
उनका ज्ञान हमारा साया है
उनके तेज में हमारा यश समाया है
उनके संघर्ष का फल हमने पाया है
उनकी दी चंद बूंदों से हमारा ज्ञान का समंदर गहराया है
गुरु सिवा और कौन है वो?
गुरु सिवा और कौन है वो?
सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम।
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